“उगता भारत ट्रस्ट” पूर्णतया माँ भारती की सेवा मे तत्पर एक ऐसा ट्रस्ट है जो इस महान भारतवर्ष को फिर से विश्वगुरु बनने की ओर लेकर जाने के लिए काम कर रहा है। ऐसा तभी संभव है जब हम एक देश के रूप मे अंदर से मजबूत होंगे और हर व्यक्ति शिक्षित होगा।
अपने इतिहास को जानना भी अपने आप मे गौरव कि अनुभूति कराता है। ऐसा गौरवशाली इतिहास हमारा रहा है कि अगर हम अपने इतिहास को देखें तो हम समझ जाएंगे कि भारत क्यों कभी विश्वगुरु हुआ करता था, तो आइए जुड़िये हमारे साथ।
इस देश को हम सभी मिलकर तभी आगे बढ़ा सकते हैं जब सभी भारतवासी शिक्षित होंगे। ट्रस्ट यह सुनिश्चित करता है कि हमारे आसपास कोई बच्चा शिक्षा से वंचित तो नहीं।
स्वस्थ व्यक्ति ही राष्ट्र सेवा कर सकता है। ट्रस्ट यह सुनिश्चित करता है कि हमारे आसपास कोई पैसे के अभाव मे स्वास्थ्य से वंचित तो नहीं रह पा रहा है।
यदि कोई इंसान भूखा तड़प रहा है तो इससे बड़ा पाप कोई और नहीं। ट्रस्ट यह सुनिश्चित करता है कि हमारे आसपास कोई भूख से तड़प तो नहीं रहा है।
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हमारे प्राचीन ऋषियों ने ईक्षण किया तो राष्ट्र का निर्माण हुआ। उनके तप, त्याग और तपस्या के फलस्वरूप राष्ट्र के मूल्य स्थापित हुए। उनके दृष्टि और दृष्टिकोण में राष्ट्र की आवश्यकता विभिन्नताओं को समेकित करने के लिए थी। उन्होंने विभिन्न मत-मतांतरों को राष्ट्र नाम के घाट पर लाकर “एक” करके दिखाया। उनके इस “एक” में ही भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अंतर्निहित है। बहुत सारी विभिन्नताएं दीखने के उपरांत भी केवल “एक देव और एक देश” के प्रति समर्पित हो जाना ही भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है। अनेक देव अनेक देश का निर्माण करते हैं।
जैसा कि हमने वर्तमान संसार के विघटन के स्वरूप को देखकर समझ भी लिया है। विभिन्न संप्रदायों के विभिन्न मत प्रवर्तकों के आने से लोगों ने संसार को बांटना आरंभ कर दिया। इसके विपरीत भारत के ऋषियों का चिंतन था कि एक देव एक मानव संस्कृति का निर्माण करते हैं। जिससे एक देश की धारणा बलवती होती है। एक राष्ट्र के भीतर सब अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने-अपने अधिकारों का प्रयोग करते रहें, यही भारत का मौलिक चिंतन है।